हिन्दी भाषी क्षेत्रों में उपेक्षित हिन्दी और बाज़ार में लगातार हिन्दी का बढ़ता कद हिन्दी के शानदार भविष्य का
बखान करता है। दुनिया की सबसे बड़ी ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी अमेज़न ने अब
हिंदुस्तान के लोगों को हिन्दी में शॉपिंग की सुविधा प्रदान की है। कंपनी
ने एंड्राइड मोबाइल एप्लीकेशन और मोबाइल वेबसाइट पर हिन्दी में शॉपिंग की सुविधा प्रदान की है।
अमेज़न इस समय दुनिया की सबसे बड़ी ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी है और वालमार्ट, फ्लिपकार्ट, पेटीऍम मॉल जैसी कंपनियों के साथ यदि प्रतियोगिता में रहना है तो अपनी गुणवत्ता के साथ-साथ अन्य रणनीतियों पर भी ध्यान देना जरूरी है। भारत की ज्यादातर जनता हिन्दी भाषी क्षेत्रों से है और शॉपिंग के लिए जिस आयु वर्ग की क्षमता सबसे अधिक है, वो भी हिन्दी के साथ ज्यादा आराम से काम कर पाते हैं। ऐसे में यदि हिन्दी भाषी क्षेत्र में अपनी पहुंच बनानी है तो यह आवश्यक है कि उन तक उनकी भाषा में पहुंचा जाये।
अमेज़न से पहले सिर्फ स्नेपडील ही एकमात्र ऑनलाइन पोर्टल था, जिसने ऑनलाइन शॉपिंग के लिए हिन्दी के साथ अन्य भाषाओं में आने की पहल की थी। अमेज़न की वेबसाइट और एप्लीकेशन अभी मुख्य सामग्री को ही हिन्दी भाषा में रूपांतरित कर पाए हैं, प्रोडक्ट की डिटेल अभी भी अंग्रेजी में ही है। पूरी वेबसाइट हिन्दी में आ सके, इसके लिए आवश्यक है कि कंपनी प्रोडक्ट प्रदाता कंपनी के साथ कार्य करे। अमेज़न की हिन्दी में अभी तक की सबसे अच्छी बात यह है कि उन्होंने न तो बहुत ही कठिन हिन्दी का प्रयोग किया है और न ही अजीबोगरीब अनुवाद है।
आज यदि अपनी पहुंच आम जनता तक बनानी है तो लोगों से उनकी अपनी जुबान से ही जुड़ा जा सकता है । इसके लिए हिन्दी और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं को अपनाना ही पड़ेगा। ऑनलाइन बाज़ार में वरिष्ठ आयु वर्ग के लोग भी इसमें दिलचस्पी लेने लगे हैं। बाजार अब गली-मोहल्ले से निकल कर ऑनलाइन आ गया है, लेकिन उसके ग्राहक अभी भी उसी गली-मोहल्ले के हैं। इसलिये ये जरूरी हो जाता है कि उनकी आदतों को समझा जाये और उनकी सहूलियत को वरीयता दी जाए।
आज हर बड़ी कंपनी इस बात को समझ चुकी है कि यदि आम जनता के दिल में अपनी जगह बनानी है तो उनकी भाषा में ही उनके पास जाना पड़ेगा। उन्हें ये समझाना पड़ेगा कि वो इन सुविधाओं का उपयोग कैसे करें और इसके साथ ही साथ कैसे सुरक्षित उपयोग करें, क्योंकि ऑनलाइन शॉपिंग को लेकर लोगों में एक भय बना रहता है कि यह सुरक्षित नहीं है और यहां फ्रॉड होने की संभावना ज्यादा होती है।
ग्राहकों को इस बारे में शिक्षित करना पड़ेगा कि सुरक्षित और आरामदायक शॉपिंग कैसे की जाती है। यह सब समझाने के लिए हिन्दी से बेहतर माध्यम कोई नहीं हो सकता। गूगल से लेकर एप्पल तक और प्राइवेट संस्थाओं से लेकर सरकारी तंत्र तक, सबको आज ये तो समझ आ चुका है कि जनता तक पहुंचने के लिए काम करना है तो हिन्दी में ही करना पड़ेगा। लेकिन इसमें भी एक तकनीकी समस्या ये आ रही है कि हिन्दी लिखने वाले जानकारों की कमी-सी है क्योंकि या तो आधी-अधूरी सामग्री हिन्दी में दी जा रही है या फिर गूगल से अनुवाद की हुई। अगर तकनीकी रूप से पूरी तरह सही हिन्दी हुई तो ज्यादा संभावना ये हो जाती है कि वो बहुत ही कठिन हिन्दी हो और पढ़ने वाला उससे दूर भाग जाए। इसलिए जनता के दरबार में हाजिरी लगाने के लिए आवश्यक है कि न सिर्फ हिन्दी में उनके पास जाया जाये बल्कि ऐसी हिन्दी के साथ जो तकनीकी रूप से सही भी हो और समझने में आसान भी।
कंपनियों को चाहिए कि वह तकनीकी साक्षरता को बेहतर बनाने के लिए लगातार काम करें। इससे उपभोक्ता का फायदा तो होगा ही, कंपनियों को भी होगा। फिर भी इस बारे में न्यूनतम प्रशिक्षण की अभी जरूरत है। अमेजन को मुफ्त कार्यशालाओं का आयोजन करना चाहिए, जिसमें इंटरनेट से जुड़ा बुनियादी ज्ञान दिया और फिर शॉपिंग के बारे में बुनियादी जानकारी भी दी जाये।
अमेज़न इस समय दुनिया की सबसे बड़ी ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी है और वालमार्ट, फ्लिपकार्ट, पेटीऍम मॉल जैसी कंपनियों के साथ यदि प्रतियोगिता में रहना है तो अपनी गुणवत्ता के साथ-साथ अन्य रणनीतियों पर भी ध्यान देना जरूरी है। भारत की ज्यादातर जनता हिन्दी भाषी क्षेत्रों से है और शॉपिंग के लिए जिस आयु वर्ग की क्षमता सबसे अधिक है, वो भी हिन्दी के साथ ज्यादा आराम से काम कर पाते हैं। ऐसे में यदि हिन्दी भाषी क्षेत्र में अपनी पहुंच बनानी है तो यह आवश्यक है कि उन तक उनकी भाषा में पहुंचा जाये।
अमेज़न से पहले सिर्फ स्नेपडील ही एकमात्र ऑनलाइन पोर्टल था, जिसने ऑनलाइन शॉपिंग के लिए हिन्दी के साथ अन्य भाषाओं में आने की पहल की थी। अमेज़न की वेबसाइट और एप्लीकेशन अभी मुख्य सामग्री को ही हिन्दी भाषा में रूपांतरित कर पाए हैं, प्रोडक्ट की डिटेल अभी भी अंग्रेजी में ही है। पूरी वेबसाइट हिन्दी में आ सके, इसके लिए आवश्यक है कि कंपनी प्रोडक्ट प्रदाता कंपनी के साथ कार्य करे। अमेज़न की हिन्दी में अभी तक की सबसे अच्छी बात यह है कि उन्होंने न तो बहुत ही कठिन हिन्दी का प्रयोग किया है और न ही अजीबोगरीब अनुवाद है।
आज यदि अपनी पहुंच आम जनता तक बनानी है तो लोगों से उनकी अपनी जुबान से ही जुड़ा जा सकता है । इसके लिए हिन्दी और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं को अपनाना ही पड़ेगा। ऑनलाइन बाज़ार में वरिष्ठ आयु वर्ग के लोग भी इसमें दिलचस्पी लेने लगे हैं। बाजार अब गली-मोहल्ले से निकल कर ऑनलाइन आ गया है, लेकिन उसके ग्राहक अभी भी उसी गली-मोहल्ले के हैं। इसलिये ये जरूरी हो जाता है कि उनकी आदतों को समझा जाये और उनकी सहूलियत को वरीयता दी जाए।
आज हर बड़ी कंपनी इस बात को समझ चुकी है कि यदि आम जनता के दिल में अपनी जगह बनानी है तो उनकी भाषा में ही उनके पास जाना पड़ेगा। उन्हें ये समझाना पड़ेगा कि वो इन सुविधाओं का उपयोग कैसे करें और इसके साथ ही साथ कैसे सुरक्षित उपयोग करें, क्योंकि ऑनलाइन शॉपिंग को लेकर लोगों में एक भय बना रहता है कि यह सुरक्षित नहीं है और यहां फ्रॉड होने की संभावना ज्यादा होती है।
ग्राहकों को इस बारे में शिक्षित करना पड़ेगा कि सुरक्षित और आरामदायक शॉपिंग कैसे की जाती है। यह सब समझाने के लिए हिन्दी से बेहतर माध्यम कोई नहीं हो सकता। गूगल से लेकर एप्पल तक और प्राइवेट संस्थाओं से लेकर सरकारी तंत्र तक, सबको आज ये तो समझ आ चुका है कि जनता तक पहुंचने के लिए काम करना है तो हिन्दी में ही करना पड़ेगा। लेकिन इसमें भी एक तकनीकी समस्या ये आ रही है कि हिन्दी लिखने वाले जानकारों की कमी-सी है क्योंकि या तो आधी-अधूरी सामग्री हिन्दी में दी जा रही है या फिर गूगल से अनुवाद की हुई। अगर तकनीकी रूप से पूरी तरह सही हिन्दी हुई तो ज्यादा संभावना ये हो जाती है कि वो बहुत ही कठिन हिन्दी हो और पढ़ने वाला उससे दूर भाग जाए। इसलिए जनता के दरबार में हाजिरी लगाने के लिए आवश्यक है कि न सिर्फ हिन्दी में उनके पास जाया जाये बल्कि ऐसी हिन्दी के साथ जो तकनीकी रूप से सही भी हो और समझने में आसान भी।
कंपनियों को चाहिए कि वह तकनीकी साक्षरता को बेहतर बनाने के लिए लगातार काम करें। इससे उपभोक्ता का फायदा तो होगा ही, कंपनियों को भी होगा। फिर भी इस बारे में न्यूनतम प्रशिक्षण की अभी जरूरत है। अमेजन को मुफ्त कार्यशालाओं का आयोजन करना चाहिए, जिसमें इंटरनेट से जुड़ा बुनियादी ज्ञान दिया और फिर शॉपिंग के बारे में बुनियादी जानकारी भी दी जाये।
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