Skip to main content

अमित शाह ने कहा, कांग्रेस ने धर्म के आधार पर किया देश का विभाजन

गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में नागरिकता संशोधन बिल को लेकर कांग्रेस को घेरा है.
विधेयक के समर्थन में उन्होंने कहा कि इस विधेयक की इसलिए ज़रूरत पड़ी, क्योंकि कांग्रेस ने धर्म के आधार पर देश का विभाजन किया.
अमित शाह ने विधेयक पेश करने की अनुमति मांगी, तो लोकसभा में हंगामा हो गया. अधीर रंजन चौधरी समेत कई विपक्षी नेताओं ने इस मामले पर केंद्र सरकार को घेरा.
लेकिन अमित शाह ने विधेयक के पक्ष में कई तर्क रखे. बाद में मतदान हुआ और 293 सदस्यों ने विधेयक पेश करने के पक्ष में मतदान किया. 82 सदस्यों ने इसके ख़िलाफ़ वोटिंग की.
इसके बाद लोकसभा में विधेयक पेश कर दिया गया.
इससे पहले सदन में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने ये कहते हुए बिल का विरोध किया कि ये समाज को पीछे ले जानेवाला है, जिसका ध्येय एक ख़ास मज़हब के लोगों को निशाना बनाना है.
अधीर रंजन चौधरी ने हंगामे के बीच संविधान की प्रस्तावना का ज़िक्र किया और कहा कि ये संविधान की भावना के विरूद्ध है जिसमें धर्मनिरपेक्षता, बराबरी और समाजवाद का ज़िक्र है.
सदस्यों का कहना था कि इसमें मुसलमानों को निशाना बनाया गया है. इसपर गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि ये बिल 000.1 फ़ीसद भी मुसलमानों के विरुद्ध नहीं है और विधेयक में कहीं भी मुसलमानों का ज़िक्र नहीं किया गया है.
टीएमसी के सुगत रॉय ने कहा है कि वो विधेयक का विरोध करते हैं.
अमित शाह ने कहा है कि ये बिल किसी भी क़ानून का उल्लंघन नहीं करता है. इसपर संसद में विपक्ष के सदस्य हंगामा मचाने लगे.
अमित शाह का कहना है कि जिन पड़ोसी देशों का ज़िक्र बिल में हुआ है वहां पारसी, हिंदू, सिख और दूसरे समुदायों की धार्मिक प्रताड़ना हुई है.
अमित शाह का कहना था कि मुसलमानों को नागरिकता के लिए आवेदन देने से किसी ने नहीं रोका है. 'पहले भी बहुत सारे लोगों को दिया है, आगे भी देंगे. धर्म के आधार पर देश का विभाजन कांग्रेस पार्टी नहीं करती तो इस बिल की ज़रूरत नहीं पड़ती.'
अमित शाह ने हंगामा ख़त्म होने के बाद कहा कि बिल किसी भी दृष्टिकोण से संविधान को ठेस नहीं पहुंचाता है.
संविधान की धारा 14 के बारे में उन्होंने कहा, जिसे लेकर अ
नागरिकता संशोधन विधेयक (Citizenship Amendment Bill) को संक्षेप में CAB भी कहा जाता है और यह बिल शुरू से ही विवाद में रहा है.
विधेयक पर विवाद क्यों है, ये समझने के लिए इससे जुड़ी कुछ छोटी-छोटी मगर महत्वपूर्ण बातों को समझना ज़रूरी है.
नागरिकता संशोधन विधेयक, 2019 क्या है?
इस विधेयक में बांग्लादेश, अफ़गानिस्तान और पाकिस्तान के छह अल्पसंख्यक समुदायों (हिंदू, बौद्ध, जैन, पारसी, ईसाई और सिख) से ताल्लुक़ रखने वाले लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रस्ताव है.
मौजूदा क़ानून के मुताबिक़ किसी भी व्यक्ति को भारतीय नागरिकता लेने के लिए कम से कम 11 साल भारत में रहना अनिवार्य है. इस विधेयक में पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यकों के लिए यह समयावधि 11 से घटाकर छह साल कर दी गई है.
इसके लिए नागरिकता अधिनियम, 1955 में कुछ संशोधन किए जाएंगे ताकि लोगों को नागरिकता देने के लिए उनकी क़ानूनी मदद की जा सके.
मौजूदा क़ानून के तहत भारत में अवैध तरीक़े से दाख़िल होने वाले लोगों को नागरिकता नहीं मिल सकती है और उन्हें वापस उनके देश भेजने या हिरासत में रखने के प्रावधान है.
धिकतर सदस्य इस विधेयक का विरोध कर रहे हैं. उनके मुताबिक़ इससे समानता का अधिकार आहत होगा.
अमित शाह का तर्क था कि मुनासिब आधार पर धारा 14 संसद को क़ानून बनाने से नहीं रोक सकता है.
1971 में इंदिरा गांधी ने निर्णय किया कि बांग्लादेश से जितने लोग आए हैं उन्हें नागरिकता दी जाएगी, तो पाकिस्तान से आए लोगों को नागरिकता क्यों नहीं दी गई.
उन्होंने युगांडा से आए लोगों को नागरिकता दिए जाने का भी हवाला दिया.
भारत के गृह मंत्री का कहना था कि प्रस्तावित क़ानून को समझने के लिए तीनों देश को समझना होगा.
अफ़गानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के संविधानों का ज़िक्र करते हए अमित शाह ने कहा कि तीनों मुल्कों का राजकीय धर्म इस्लाम है.
बंटवारे के वक़्त लोगों का जाना इधर से उधर हुआ. नेहरू-लियाक़त समझौते का ज़िक्र करते हुए भारत के गृह मंत्री का कहना था कि इसमें अल्पसंख्यकों की हिफ़ाज़त की बात की गई थी जिसका पालन भारत में तो हुआ लेकिन दूसरी तरफ़ ऐसा नहीं हुआ.
इसपर अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि पाकिस्तान में शियाओं पर ज़ुल्म हो रहा है.

Comments

Popular posts from this blog

احتجاجات هونغ كونغ: اشتباكات بين الأمن والمتظاهرين

أطلق ضابط شرطة في هونغ كونغ رصاصة من مسدسه على المحتجين، الأحد ، في أول استخدام للطلقات الحية ضد التظاهرات التي اندلعت منذ يونيو/حزيران الماضي. وأظهرت صور الاحتجاجات العديد من ضباط الشرطة يوجهون البنادق نحو المتظاهرين، وأطلقوا الرصاص المطاطي وقنابل الغاز لوقف المتظاهرين الذين كانوا يطاردونهم بالعصي. وأبلغت الشرطة وسائل الإعلام المحلية أن إطلاق الرصاصة جاء لتحذير المتظاهرين، وأن العديد من الضباط نُقلوا إلى المستشفى بعد الإصابة جراء الاشتباكات. وفي سابقة هي الأولى منذ الاحتجاجات، نشر ت الشرطة مدافع المياه لاستخدامها ضد المتظاهرين في وقت سابق من اليوم . وامتدت الاحتجاجات إلى منطقة تسيم شا تسوي، بعد ان كانت قد بدأت في منطقة تسوين وان. وجاءت المظاهرات احتجاجا على مشروع قانون تقدمت به الحكومة لتسليم المجرمين إلى الخارج (وخاصة الصين)، وتحولت بعد ذلك إلى احتجاجات أوسع نطاقا ض د الحكومة، لكن تطورات يوم الأحد تمثل تصعيدا خطيرا في الاضطرابات . وكانت منظمة العفو الدولية لحقوق الإنسان، قد حذرت في وقت سابق هذا الشهر، من خطورة استخدام مدافع المياه والتي يمكن أن تسبب إ صابات خطيرة وت...

مصر.. براءة 40 متهما في قضية التمويل الأجنبي

قضت محكمة جنايات القاهرة ببراءة 40 متهما في القضية المعروفة إعلاميا بـ"التمويل الأجنبي"، خلال إعادة محاكمتهم . وصدر الحكم حضوريا لصالح 38 متهما، وغيابيا لصالح متهمين اثنين، كما قبلت المحكمة تظلم متهم آخر على قرار منعه من السفر. إقرأ المزيد مصر.. محاكمات في قضية "التمويل الأجنبي" وكانت محكمة جنايات القاهرة أصدرت في يونيو 2013 أحكا ما بالإدانة تراوحت ما بين السجن 5 سنوات غيابيا بحق 27 متهما، ومعاقبة 5 متهمين بالحبس لمدة عامين مع الأشغال الشاقة، ومعاقبة 11 متهما بالحبس لمدة سنة واحدة مع وقف التنفيذ، والقضاء بحل فروع منظمات المعهد الجمهوري وا لمعهد الديمقراطي ومنظمة فريدوم هاوس وال مركز الدولي الأمريكي للصحفيين ومؤسسة كونراد الألمانية، وإغلاق مقارهم بمصر ومصادرة الأموال والأمتعة المضبو طة وجميع الأوراق والأدوات المضبوطة في مقار هذه المنظمات. لكن محكمة النقض المصرية قضت بإلغاء ا لأحكام الصادرة في هذا القرار، وإ عادة محاكمة المتهمين....

قيل إنها احرقت حية وماتت لاحقا متأثرة بجروحها

مما لاشك فيه أن العداء بين الفولاني والبيرو م سبق ظهور فيسبوك بفترة طويلة، ولكن الشرطة والجيش في ولاية الهضبة على قناعة تامة بأن الصور المرعبة والمعلومات الكاذبة التي نشرت في موقع التواصل الاجتماعي في 23 و24 يونيو / حزيران كان لها دور مهم في إثارة أع مال الثأر التي وقعت لاحقا. قال لنا تيوبيف تيرنا ماتياس، مسؤو ل العلاقات العامة في شرطة ولاية الهضبة، "كانت الصو ر، تلك الصور المزعومة التي قيل إن مصدرها هجوم غاشيش هي التي ألهبت غضب الناس. لم تتعرض جوس لهجمات ، ولكن بسبب هذه الصور التي رأوها اغلق ت الطرق في اليوم التالي وقتل العديد من الناس. أحرق ت السيارات وقتل فيها العديدون. " لم تكن تلك المرة الأولى التي شاهد فيها ماتياس تعليقات نا رية مستفزة في مواقع التواصل تليها أعمال عنف في بلدات وقرى ولاية الهضبة. فهو يقول، "ال أخبار الكاذبة التي تنتشر من خلال فبسبوك تقتل الناس." خضع فيسبوك لمراقبة دقيقة في الولايات المتحدة وأوروبا وآسيا لل دور الذي لعبه في نشر "الأخبار الكاذبة." ولكن م ا الذي عساه أن يتوقع عندما يسمح لأخبار من هذا النوع بالانتشار ...